विशेषण किसे कहते हैं?
(Visheshan Kise Kahate Hain)
जैसा की हम जानते हैं किसी नाम का बोध कराने वाले शब्द संज्ञा कहलाते है तथा संज्ञा के बदले प्रयुक्त होने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते है।तो सवाल ये है कि विशेषण किसे कहते हैं?
तो इसका जवाब है कि जो शब्द संज्ञा और सर्वनाम दोनों की विशेषता का बोध कराते हो उन शब्दों को विशेषण कहते है।अर्थात विशेषण का कार्य संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता का बोध करना होता है।और अच्छे से समझने के लिए नीचे दिए उदाहरण को देखे।
उदाहरण:-
1.आम मीठा है।
2.राम पढ़ने में तेज है।
3.कुछ लोग खेलना भी नहीं चाहते।
4.लड़का अच्छा गाता है।
5.मेरा भाई शहर जा रहा है।
ऊपर के वाक्यों में मीठा,तेज,कुछ,अच्छा तथा मेरा शब्द आया है।ये सभी शब्दों वाक्य में किसी विशेषता को बताते है।
विशेषण की परिभाषा
(Visheshan Ki Paribhasha)
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता यानी गुण,संख्या,मात्रा या परिमाण आदि को बताते है,वे शब्द विशेषण कहे जाते है।
विशेष्य:-विशेषण के द्वारा जिन शब्दों की विशेषता बताया जाता है,वे शब्द विशेष्य कहलाते है।
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विशेषण के भेद
visheshan ke bhed
ऊपर हमने विशेषण के बारे में जाना।अब आइए Visheshan Ke Bhed को भी जान लेते है।
विशेषण के मुख्यरूप से चार भेद होते है।
1.गुणवाचक विशेषण
2.संख्यावाचक विशेषण
3.परिमाणवाचक विशेषण
4. सार्वनामिक विशेषण
1.गुणवाचक विशेषण(Qualitative Adjective)
विशेषण का वह भेद जिससे किसी संज्ञा या सर्वनाम के गुण का बोध होता हो गुणवाचक विशेषण कहलाता है।
आसान शब्दों में
जो किसी संज्ञा या सर्वनाम के गुण का बोध कराए वह गुणवाचक विशेषण है। जैसे-अच्छा,सुंदर, ऊंचा,लंबा,मोटा आदि।
जैसे-
राम अच्छा लड़का है।
यह सुंदर फूल है।
बुर्ज खलीफा दुनिया की सबसे ऊंची इमारत है।
गुणवाचक विशेषण के प्रकार
काल,आकर,दशा,वर्ण आदि के आधार पर इसके मुख्य रूप से 6 प्रकार है-
(1) कालवाचक-जिससे किसी संज्ञा का समय और काल से संबंधित गुणों का पता चले। जैसे-नया घर,पुराना घर,आगामी वर्ष आदि।
(2) आकारवाचक-इससे आकर से संबंधित गुणों का बोध होता है। जैसे-लंबा आदमी,गोल टोपी,चौकोर टेबल आदि।
(3) गुणवाचक-जो किसी संज्ञा या सर्वनाम के गुण का बोध कराए वह गुणवाचक के अन्तर्गत आता है। जैसे- सुंदर कपड़ा,सज्जन व्यक्ति,अच्छी मिठाई आदि।
(4) दशावाचक-जो किसी संज्ञा के दशा से संबंधित गुणों का बोध कराए। जैसे-अमीर/गरीब आदमी,स्वास्थ्य/रोगी जानवर, गीला कपड़ा आदि।
(5) स्थानवाचक-जिससे स्थान से संबंधित संज्ञा के गुणों का पता चलता हो। जैसे-ऊंचा पहाड़,ग्रामीण लोग,विदेशी घड़ी आदि।
(6) वर्णवाचक-जिससे किसी संज्ञा या सर्वनाम के वर्ण यानी रंगो का बोध हो। जैसी-काली गाय,सफेद फूल,लाल कपड़ा,रंगीन टीवी आदि।
2.संख्यावाचक विशेषण(Numeral Adjective)
वह विशेषण शब्द जो किसी संज्ञा या सर्वनाम की संख्या से संबंधित विशेषताओं का बोध कराता है उसे संख्यावाचक विशेषण कहते है। जैसे-दो, चार,कई, कुछ आदि।
उदाहरण
मेरे पास दो गाये है।
तुम्हारे पास कुछ पैसे है?
ये दूसरा घर मेरा है।
पेड़ पर कई चिड़िया बैठी है।
संख्यावाचक विशेषण के प्रकार
इसके दो प्रकार होते है।
(क.) निश्चित संख्यावाचक
(ख.) अनिश्चित संख्यावाचक
(क) निश्चित संख्यावाचक
जिस शब्द से किसी निश्चित संख्या का बोध होता है वह निश्चित संख्यावाचक विशेषण के अन्तर्गत आता है।
जैसे-दो गाये,चार पुस्तके आदि।
निश्चित संख्यावाचक विशेषण के पांच भेद है-
(1) गणनावाचक-ये विशेषण संज्ञा की संख्या या गिनती को बताते है। जैसे-पांच पेड़, दो गाडियां,तीन टेबल,दस व्यक्ति आदि।
नोट:-गणनावाचक भी दो प्रकार के होते है।एक तो पुर्णवाचक और दूसरा अपुर्णवाचक। दो, चार,पांच,सौ आदि पुर्णवाचक तथा सवा,पौने,साढ़े आदि अपुर्णवाचक विशेषण के उदाहरण है।
(2) क्रमवाचक-इस विशेषण के द्वारा संज्ञा के क्रम का बोध होता है। जैसे-पहला मनुष्य,दूसरी कक्षा,तीन सेब आदि।
(3) समुदायवाचक-जिन संख्यावाचक विशेषण शब्दों से संज्ञा के समुदाय का बोध होता है उसे समुदायवाचक विशेषण कहते है। जैसे-दोनों व्यक्ति,पांचों आम,दसो दिन आदि।
(4) आवृतीवाचक-जिन संख्यावाचक विशेषण शब्दों से 'गुना' का बोध हो उसे आवृतीवाचक कहते है। जैसे-दुगुना तेज,तिगुना पैसा आदि।
(5)प्रत्येकवाचक-जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा के समूहों में से प्रत्येक संज्ञा का बोध होता है वे प्रत्येकवाचक के अन्तर्गत आते है। जैसे-प्रत्येक विद्यार्थी,प्रत्येक घर,प्रति दिन,प्रति दिन आदि।
(ख.) अनिश्चित संख्यावाचक
जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा के किसी निश्चित संख्या का बोध ना होकर अनिश्चित संख्या का बोध हो तो उसे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहा जाता हैं।जैसे-कुछ कपड़े,थोड़ा पानी,सब बच्चे आदि।
3.परिमाणवाचक विशेषण(Quantitative Adjective)
जिन शब्दों से किसी वस्तु(संज्ञा) के माप या तौल की विशेषता का बोध हो तो वह परिमाणवाचक विशेषण कहलाता है। जैसे-थोड़ा,सेर भर, कुछ आदि।
उदाहरण
मैंने आपको सेर भर आटा दिया
मुझे एक किलो आम दीजिए।
राम ने उसे थोड़ा पैसा दिया।
मोहन बाजार से कुछ पुस्तके लेते आना।
परिमाणवाचक विशेषण के भी दो प्रकार के हो सकते है। निश्चित परिमाणवाचक और अनिश्चित परिमाणवाचक।ऊपर के उदाहरणों में 'सेर भर' और 'एक किलो' निश्चित परिमाणवाचक विशेषण के उदाहरण है तथा 'थोड़ा' और 'कुछ' अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण के उदाहरण है।
नोट:-एक बात याद रखे कि बहुत से विशेषण ऐसे है जिनका प्रयोग संख्यावाचक विशेषण और परिमाणवाचक विशेषण दोनों में होता है।सब, कुछ, थोड़ा,बहुत आदि कुछ ऐसे ही विशेषण है।
उदाहरण के लिए कुछ लड़के,सब बच्चे,थोड़े कपड़े,बहुत गाडियां आदि वाक्यों में कुछ,सब,थोड़े और बहुत शब्द संख्यावाचक है।
वहीं कुछ पानी,सब आटा,थोड़े चावल,बहुत चावल आदि वाक्यों में कुछ,सब,थोड़े,बहुत ये शब्द परिमाणवाचक विशेषण के अन्तर्गत आते है।
4. सार्वनामिक विशेषण(Demonstrative Adjective)
वे सर्वनाम जो विशेषण के रूप में भी प्रयोग किए जाते हो, सार्वनामिक विशेषण कहलाते है।अर्थात् जो सर्वनाम विशेषण का भी कार्य करते है,सार्वनामिक विशेषण कहलाते है। जैसे-यह,वह,जो,कौन,कुछ,कोई आदि।
ऊपर के ये शब्द सर्वनाम और विशेषण दोनों का कार्य करते है।जब इनका प्रयोग संज्ञा साथ होता है तो ये विशेषण कर कार्य करते है तथा जब इनका प्रयोग क्रिया के साथ होता है तो ये सर्वनाम का कार्य करते है।
उदाहरण
A. सर्वनाम B. विशेषण
1.वह जा रहा है। 1.वह पतंग गिर रही है।
2.यह ले जाओ। 2.यह मकान देखो।
3.कोई कहेगा। 3.कोई गाय चर रही हैं।
4.कुछ खाते है। 4.कुछ बच्चे खेल रहे है।
साधित सार्वनामिक विशेषण-ऐसे सार्वनामिक विशेषण जो मूल सर्वनाम शब्दों से बनाए जाते है उन्हें साधित सार्वनामिक विशेषण कहा जाता है।
जैसे-
यह से - ऐसा, इतना
वह से - वैसा,उतना
कौन से - कैसा,कितना
विशेषण की अवस्थाएं
(Degree Of Comparison)
विशेषता के आधार पर विशेषण की तीन अवस्थाएं होती है।
1.मूलावस्था
2. उत्तरावस्था
3. उत्तमावस्था
1.मूलावस्था
जिस विशेषण से किसी एक व्यक्ति,वस्तु,स्थान आदि के गुण या दोषों को बोध हो तो उस विशेषण को मूलावस्था कहते है।जैसे-बहादुर,अच्छा,मीठा,प्रिय आदि।
आसान भाषा में कहे तो:-"मूलावस्था वह है जिसमें एक का दूसरे से तुलना नहीं किया जाता हो"।
उदाहरण-
राम बहादुर लड़का है।
कमरा अच्छा है।
सेब मीठा है।
2.उत्तरावस्था
विशेषण की वह अवस्था जिसमें एक कि दूसरे से अधिकता बतायी जाए तो उस विशेषण को उत्तरावस्था कहते है।
दूसरे शब्दों में-उत्तरावस्था वह है जिसमें दो की तुलना करके एक कि अधिकता बतायी जाए।
उदाहरण
तुम सोहन से अधिक बहादुर हो।
राम मोहन से अधिक धनी है।
गाय बकरी की अपेक्षा बड़ी होती है।
3.उत्तमावस्था
विशेषण की वह अवस्था जिसमें किसी एक कि दूसरे से तुलना करते हुए किसी कि अधिक विशेषता का बोध कराया जाता हो तो वह विशेषण उत्तमावस्था कहलाता है।
उदाहरण
तुम सबसे अधिक बहादुर हो।
राम सबसे ज्यादा धनी है।
हाथी स्थल की सबसे बड़ी जीव है।
नोट:
विशेषण की अवस्थाओं की आवश्यकता तभी होती है जब तुलना का प्रश्न उपस्थित हो।तुलना के लिए 'अधिक' 'सबसे अधिक' अपेक्षा आदि का प्रयोग हिंदी वाक्यों में किया जाता है।
इसके अतिरिक्त तत्सम शब्दों में 'तर' और 'तम' लगाकर भी उत्तरावस्था और उत्तमावस्था के रूप बनाया जा सकता है। जैसे-
मूलावस्था-उत्तरावस्था-उत्तमावस्था
अधिक - अधिकतर - अधिकतम
निकट - अधिकतर - अधिकतम
कोमल - कोमलतर - कोमलतम
निम्न - निम्नतर - निम्नतम
उच्च - उच्चतर - उच्चतम
विशेषण से संबंधित जानने योग्य बातें:
1.जो संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताए वह विशेषण है।
2.विशेषण के मुख्य रूप से चार भेद है।जिनका विवरण ऊपर दिया जा चुका है।
3.विशेषण की तीन अवस्थाएं होती है।
4.विशेषण की अवस्थाओं की आवश्यकता तभी होती है जब तुलना का प्रश्न उपस्थित होता है।
5.तत्सम शब्दों में तर और तम लगाकर उत्तरावस्था और उत्तमावस्था रूप में बदला जाता है।
6.विशेषण विकरी होते हैं।इनके रूप लिंग,वचन अथवा कारक के कारण बदल जाते है। जैसे-काला-काली, मोटा-मोटी, लंबा-लंबी आदि।
7.आकारान्त विशेषण स्त्रीलिंग में इकारान्त हो जाते है। काला-काली, उजला-उजली आदि।
8.अकरान्त विशेषण स्त्रीलिंग और पुलिंग दोनों में समान रहते है। जैसे- लाल,चतुर,सुंदर आदि।
तो दोस्तो ये था मेरा आज का पोस्ट जिसमें मैंने विशेषण किसे कहते हैं?(visheshan kise kahate hain) इसके भेद(visheshan ke bhed) और परिभाषाओं को बताया।आशा करता हूं आप इस पोस्ट में मिली जानकारियों से जरूर संतुष्ट हुए होंगे।अगर आपको ये पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तो,सहपाठियों में शेयर जरुर करिएगा।विशेषण से संबंधित किसी तरह के सवाल हो आप हमें नीचे कॉमेंट करके पूछ सकते है, धन्यवाद।
nice post , osm content
ReplyDeleteआपके कीमती कमेंट के लिए धन्यवाद।इसी तरह के जानकारी के लिए आप हमारे ब्लॉग को फॉलो जरूर करिए।
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